साहब, नज़र रखना

हमें लगातार लगता रहता है कि हमारे करे हो रहा है। हम खुद को डूअर — कर्ता — माने रहते हैं। ध्यान से देखें तो मन की दो स्थितियां हैं:
१. यांत्रिक- कंडीशन्ड। इस स्थिति में निश्चित रूप से हम कुछ नहीं कर रहे। जो कर रही है, हमारी प्रोग्रामिंग कर रही है।
२. बोधयुक्त — इंटेलिजेंट। इस स्थिति में भी हम कुछ नहीं कर रहे। जो हो रहा है, वो स्वतः हो रहा है।