सारे धर्मों का स्रोत क्या है?
आचार्य प्रशांत: तुम पूछ रहे हो कि सारे धर्मों का स्रोत क्या है। सारे धर्मों का स्रोत है जीवन। जिस किसी ने कहा कुछ भी, चाहे वो धार्मिक आदमी हो, चाहे वो अपने आप को धार्मिक ना बोलता हो; ‘धर्म’ सिर्फ एक शब्द है। जिस किसी ने जब भी कोई समझदारी की बात की, जिंदगी को देख कर के की। ध्यान रखना, जिंदगी के अलावा और कहीं से भी बोध जगता नहीं। जिसने भी जाना है, उसने जीवन को देख कर जाना है। तुम्हें हैरत होगी, ‘क्या देख कर जाना है?’