सारी बेचैनी किसलिए?

‘जो होगा अपने आप होगा, हम कुछ नहीं कर सकते’, ये भी कर्ताभाव ही पकड़ लिया आप ने। वो बात बहुत सूक्ष्म है। इतनी नहीं है कि ‘जो होगा अपने आप हो जायेगा, हम कुछ नहीं कर सकते’ — बहुत हलकी बात है ये। वो बात ऐसी है कि करते हुए भी ‘मैं’ कर नहीं रहा। वो ये नहीं है कि हम कुछ नहीं कर सकते। वो बात ऐसी है कि करते हुए भी ‘मैं’ कर नहीं रहा। ‘मैं’ नहीं कर रहा हूँ, ये तो बात है ही नहीं। ‘न करने’ में तो ‘करना’ आ गया; अकर्ता बहुत सूक्ष्म बात है।

अकर्ता का अर्थ कर्म का निषेध नहीं होता है।

कर्म को रोक देने का नाम नहीं है ‘अकर्ता’ हो जाना।

अब तो आप ‘कर्ता’ हो।

और वो कर्ता क्या कर रहा है?

कर्म को रोक रहा है।

पूरा वीडियो यहाँ देखें।

आचार्य प्रशांत और उनके साहित्य के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org