सारी ऊर्जा तो शहनाई-रुलाई-विदाई में बही जा रही है
प्रश्नकर्ता: मैं अपने परिवार की एक स्थिति में असमंजस में पड़ा हुआ हूँ। मेरे भाई एक लड़की से प्रेम करते हैं जो दूसरी जाति की है। इसी कारण मेरे घरवाले इस रिश्ते से काफी अप्रसन्न हैं। भाई बोलता है कि माँ-पापा को समझाओं और मेरी मदद करो और माँ-पापा कहते हैं कि भाई को समझाओ। इसी ओर मेरा नया व्यवसाय है जिसे बढ़ाने के लिए मुझे काफ़ी समय लग जाता है। इन्हीं तीनों के बीच मैं अपने-आपको फँसा पाता हूँ। आचार्य जी…