साधना दुख देती नहीं, दुख को उघाड़ती है

साधना दुःख देगी क्या? तुम दुःख में हो तभी तो साधना शुरू होगी। अगर साधना सच्ची है तो वो शुरू तब होगी जब साधना ना करने के कारण तुम पहले ही पीढ़ा में हो। वो पीढ़ा तुम्हें विवश करती है अपने मन को जानने के लिए, जीवन को जानने के लिए और बदलाव लाने के लिए। इसको कहते हैं — साधना। और साधना का काम ही है कि जो तुम्हारी वर्तमान पीढ़ा है उससे तुम्हें निजात दिलाए।