साक्षित्व का वास्तविक अर्थ

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, ओशो को पढ़ते हुए उनकी एक विधि का पता चला — विटनेसिंग (साक्षित्व)। लेकिन साक्षित्व की प्रक्रिया, करते -करते विचार बन जाती है। आरम्भ में लगता है कि साक्षित्व हो रहा है, लेकिन अंत में वो विचार बन जाता है।

इसमें थोड़ा दिशा-निर्देश करने की कृपा करें।

आचार्य प्रशांत: ‘साक्षित्व’ विधि हो ही नहीं सकती। साक्षित्व जीने का आध्यात्मिक तरीका है। यहाँ से शुरू करिये कि — साक्षित्व कब…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org