सांख्य दर्शन और वेदांत में भेद

प्रश्नकर्ता: मेरे जीवन में सांख्य और वेदांत दर्शन के पढ़ने के बाद काफ़ी बदलाव आया है। मैं आभारी हूँ कि जो मुझे पढ़ने का अवसर मिला, परन्तु दोनों दर्शन में कुछ मूल विरोध दिखाई देता है। मेरे सम्मत में आप नहीं दिखते, आप में सांख्य और वेदांत एक होते दिखते हैं। सांख्य दर्शन कहता है कि प्रकृति और पुरुष दोनों अलग-अलग सत्ता है, दोनों ही नित्य है। अद्वैत वेदांत कहता है, “ब्रह्मा सत्य है, जगत मिथ्या है।” इस स्थिति में हम किसको अनुकरण करें, मेरा…