सस्ती है वो हँसी जिसके पीछे दर्द न हो
आदमी क्यों अनिवार्य रूप से सुख की तलाश में रहता है? हर आदमी की हस्ती मूलरूप से उदास है। पूरी दुनिया ख़ुशी के लिए मर रही है। सौभाग्य होता है उनका जो अपनी उदासी से आँखें चार कर पाते हैं।
उदासी से भिड़ना पड़ेगा। भागना और भिड़ना - जीने के सिर्फ़ यही दो तरीके होते हैं। किसी एक तरीके को तो चुनना पड़ता है। लेकिन पर्याप्त अनुभव ले लेने के बाद भी भागे ही जाओ तो फिर ये पागलपन है। शायद ख़ुशी का रास्ता उदासी के…