सरलतम व श्रेष्ठतम मन ही आध्यात्मिक हो सकता है
ब्रह्म विद्या सूक्ष्मतम विद्या है और ये श्रेष्ठतम मनों के लिए है। हम बहुत भूल करेंगे अगर हम सोचेंगे कि जो गए-गुजरे किसी काम के नहीं होते, समाज से पूरे तरीके से त्यक्त जो लोग हैं, निर्वासित किस्म के, आध्यात्मिकता उनके लिए है, कि जब बूढ़े हो जाओ और मरने का वक़्त आ जाए तो आध्यात्मिक हो जाओ, जब तुमको ये भी याद नहीं है कि कपड़े पहन रखें है या नहीं, मुँह में दांत नहीं और पेट में आंत नहीं, तब आध्यात्मिक हो जाओ।