सम्यक क्रोध
प्रकृति ने सबको कुछ-न-कुछ दिया है, थोड़ा अलग-अलग दिया है। किसी को संयम दिया है, किसी को क्रोध दिया है। किसी को बुद्धि दी है, किसी को स्मृति दी है। किसी को ये, किसी को वो। किसी को धन दिया है, किसी को निर्धनता दी है। जिसको जो कुछ भी मिला है, वो उसी का उपयोग करे अपने लक्ष्य के प्रति।
तो प्रश्न ये नहीं होना चाहिए कि — “मुझे क्या मिला, मुझे क्या नहीं मिला?” प्रश्न ये होना चाहिए — “मुझे जो कुछ भी मिला, उसका उपयोग किस दिशा में किया?”