समीप आओ, और बात करो
प्रश्नकर्ता: हम चर्चा क्यों करते हैं? हम विचार क्यों करते हैं? समझ की प्रक्रिया क्या है?
आचार्य प्रशांत: मन जैसा है हमारा वहाँ परम मौन में स्थापित हो जाना मन के लिए सहजता से संभव नहीं हो पाता है। वो उपकरण मांगता है। शब्द वह उपकरण है। आप कह रहे हैं कि चर्चा की ज़रूरत क्या है। अगर मैं वक्ता को पूरे ध्यान से, एकनिष्ठ होकर सुन रहा हूँ, तो बिना चर्चा के ये सब समझ में आ जाएगा। हाँ, बात बिल्कुल ठीक है। पर शर्त बहुत बड़ी है। बात बिल्कुल…