समाज नहीं, सामाजिकता है रोग
एक मुक्ति होती है कि मुझे किसी एक समाज से मुक्ति चाहिए। वह तब चाहिए होती है जब समाज आपकी रुचि का नहीं होता। मेरा जैसा मन है उससे वो समाज मेल नहीं खा रहा, तो मैं कहता हूँ कि मुझे इस समाज से मुक्ति चहिये। एक ऐसी मुक्ति होती है जो किसी ख़ास समाज से नहीं, समाज से ही मुक्ति चाहिए होती है। वहाँ आप यह नहीं कह रहे हैं कि यह समाज नहीं, कोई दूसरा समाज। क्योंकि अगर आप यह कह रहे हो कि यह समाज नहीं कोई दूसरा समाज, तो आपके मन में भूख बाकी है, सामाजिक…