समय का मन और समय के पार
May 24, 2021
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हमने जब भी अपने संसार में जब भी कोई अंत देखा है तो उसके बाद सदा एक प्रारंभ देखा है। ये कमरा यहाँ अंत होता है तो उसके बाद एक दूसरी जगह शुरू होती है। कुछ भी जहाँ ख़त्म होता है, वहाँ से कुछ न कुछ शुरू ज़रूर होता है। तो जब भी कोई कहता है कि समय खत्म हुआ तो हम अपनी आदत से मजबूर हो कर कहते हैं कि फिर क्या शुरू होता है। हम उसे भी द्वैत के अंदर रखना चाहते हैं कि इसका अंत हो रहा है तो कुछ न कुछ शुरू ज़रूर होगा।
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आचार्य प्रशांत और उनके साहित्य के विषय में जानने, और संस्था से लाभान्वित होने हेतु आपका स्वागत है।