समभाव का अर्थ क्या है?
‘समभाव’ का अर्थ है ऐसा भाव जिसके विपरीत न जाना पड़े। कोई ऐसा भाव जो इतना आकर्षक हो, इतना विराट हो कि तुम्हें पूरा ही सोख ले अपने में। तुम्हें उससे हटकर के किसी और भाव की ज़रूरत न पड़े। चलो समझो!
संसार में जो कुछ भी करते हो, उसको चलाए रखने के लिए तुम्हें उसके विपरीत की शरण में जाना होता है। जो पढ़ाई करते हैं वह बोलते हैं, पढ़ाई बहुत हो गई अब ज़रा बाज़ार घूम के आते हैं, खेल के आते हैं। पढ़ाई करनी है तो बाजार जाना पड़ेगा। तुमने…