सब समझ आता है, पर बदलता कुछ नहीं
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, जब सब पता चलता है, सब दिखता भी है कि सब ठीक नहीं चल रहा उसके बावजूद भी कुछ बदलता क्यों नहीं है?
आचार्य प्रशांत: आप जो बात बोल रहे हैं न, वो जीवन के मूल सिद्धांत के ख़िलाफ़ है। जीवेषणा समझते हैं क्या होती है? और जीने की इच्छा। कोई भी जीव अपना विरोधी नहीं होता। हम पैदा ही नहीं हुए हैं कष्ट झेलने के लिए, हालाँकि कष्ट हम झेलते खूब हैं। हम पैदा इस तरह से हुए हैं कि कष्ट झेलना पड़ेगा, लेकिन हमारे भीतर कोई है जो कष्ट झेलने को राज़ी नहीं होता है। इसीलिए समझाने वालों ने कहा कि आपका स्वभाव दु:ख नहीं है, आनंद है। आपका यथार्थ दु:ख है लेकिन आपका स्वभाव आनंद है।…