सब इन्सान अलग-अलग क्यों? पुनर्जन्म क्या?

प्रश्नकर्ता: कोई जन्म से ही सात्विक विचारों वाला होता है, कोई जन्म से ही राक्षसी विचारों वाला होता है और कोई जन्म से अंधा और कोई जन्म से अपाहिज भी होता है। यह इतना भेद क्यों होता है? आत्मा तो एक है फिर यह इतना भेद क्यों?

आचार्य प्रशांत: यह भेद इसलिए है क्योंकि आप अपने सामने वाले से भी अलग हो और पीछे वाले से भी अलग हो। आप अपने आपको अलग कैसे कहोगे अगर आपके सब गुण, रूप, रंग, आकार, प्रकार आगे वाले जैसे ही हों या पीछे वाले जैसे ही हों। जीव तभी तक जीव है जब तक वह अन्य जीवों से भिन्न है और भिन्न होने के हज़ारों तरीके हैं तो उनमें से एक तरीका यह भी है कि किसी की बुद्धि…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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