सबसे बड़ा दुश्मन, सबसे बड़ा दोस्त
आचार्य प्रशांत: कोई भी सच्ची प्रार्थना सदा स्वयं से ही की जाती है। प्रार्थना अगर सच्ची है तो वह स्वयं से ही की जा रही है क्योंकि हमें बनाने या बिगाड़ने वाला है कौन? हम ही हैं न। कहते हैं उपनिषद कि तुमसे बड़ा तुम्हारा कोई मित्र नहीं और तुमसे ही बड़ा तुम्हारा कोई ऋपु नहीं।
अमृतबिन्दु उपनिषद याद है? तुमसे बड़ा तुम्हारा कोई हितैषी नहीं और तुमसे बड़ा तुम्हारा कोई शत्रु नहीं। तो तुम्हारी ज़िंदगी बनेगी या बिगड़ेगी ये…