सफलता की दौड़ में ही असफलता का भाव निहित है
जब आप सफल नहीं हैं। जितनी गहराई से आप में असफलता का, सफलता की कमी का भाव होगा, जितना ज़्यादा आपको ये एहसास होगा कि अगर आपने पाया नहीं तो आप छोटे रह जायेंगे, उतनी ज़्यादा कशिश से आप सफलता के पीछे दौड़ते हैं।
सफलता की दौड़ में ही असफलता का भाव निहित है।
सवाल ये नहीं है कि, “दौड़ने से सफलता मिल भी तो सकती है?”। यहाँ पर बात कार्य-कारण की नहीं हो रही है। बात ये हो रही है कि…