सफलता की असली परिभाषा
प्रश्नकर्ता: क्या सफ़लता सब कुछ होती है समाज के लिए? क्या हमें सिर्फ सफ़लता से ही मतलब होना चाहिए।
आचार्य प्रशांत: समाज तो यही चाहता है! समाज तो यही चाहता है कि तुम एक पूर्व निर्धारित राह पर चलो और उस राह पर जो जितनी ज़ोर से चले और जितनी दूर तक जाए उसी को सफल माना जाता है। ठीक है न?
जैसे कि ये नौकर था, इसको सफल कब मानेंगे इसके मालिक? जब वो उनके सारे काम कर दे। लेकिन सवाल ये उठता है कि नौकर ने मालिक की…