सफलता का राज़

अपने आपको दूसरों के पैमानों पर नापना छोड़ो। नहीं तो पैमाने के अनुसार तुम सफल होओगे पर तुम साफ-साफ जानते होगे कि सफलता जैसा मुझे कुछ मिला नहीं है और तुम गहरे रूप से सफल हो सकते हो पर पैमाना ये बोलेगा कि इसको तो कुछ मिला नहीं, ये तो असफल ही है।

सांसारिक पैमाना ये हो सकता है कि अगर तुम्हारे पास इतने पैसे हैं तो तुम सफल हो और इतने पैसे नहीं हैं तो तुम असफल हो — ये बिलकुल हो सकता है एक सांसारिक पैमाना। उतने पैसे होने पर भी तुम्हारा मन रोया-रोया जा रहा है, तो तुम सफल हो? उतने पैसे होने पर भी उससे दस गुना और पाने की चाहत अभी बनी ही हुई है, तो तुम सफल हो?

और तुम्हारे पास नहीं हैं उतने पैसे जितने संसारी पैमाने के अनुसार होने चाहिए लेकिन फिर भी मन शांत है, स्थिर है, तो तुम सफल हो कि नहीं हो?

किस पैमाने पर नापोगे अपने आपको? कोई पैमाना नहीं है।

तुम्हारी अपनी समझ ही पैमाना है। अपनी दृष्टि के अनुसार अगर जीवन जीने का साहस दिखाया तो सफल हो फिर किसी पैमाने की आवश्यकता नहीं, फिर किसी से प्रमाण-पत्र नहीं माँगना पड़ेगा, फिर किसी से पूछना नहीं पड़ेगा कि तुम्हें क्या लगता है मैं सफल हूँ या नहीं हूँ।

ऐसा सवाल ही नहीं उठेगा। फिर आस-पड़ोस जो भी बोलता रहे, समाज जो भी बोलता रहे, संबंधी जो भी बोलते रहें, तुम्हें अंतर नहीं पड़ेगा। वो कहते रहें कि अरे ये तो असफल ही रह गया जीवन में, तुम हँस दोगे। तुम कहोगे, “ठीक, जो आपको लगे, सोचिए। मुझे अपना पता है, मुझे अपनी खबर है।”

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org