सफलता का राज़
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपकी सफलता के पीछे क्या राज़ है?
आचार्य प्रशांत: राज़ कुछ भी नहीं है। बात सिर्फ इतनी सी थी कि सक्सेस (सफलता) वगैरह का कभी बहुत सोचा नहीं। हर कदम पर जो उचित लगा वो करता गया, उसी से अगला कदम निकलता चला गया। सक्सेस की बात सोच कर के तो मैं तुम्हारे सामने नहीं बैठा होता।
जो लोग उन बैकग्राउंड (पृष्ठभूमि) से आते हैं जहाँ से मैं हूँ, उनके सपने दूसरी तरह के होते हैं। उनकी सोच, कल्पनाएँ, लक्ष्य…