सत्संग के बावजूद भी मन में गलत ख्याल क्यों आते हैं?
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प्रश्न: आचार्य जी, सत्संग के बावजूद भी मन में गलत ख्याल क्यों आते हैं?
आचार्य प्रशांत: अभी जो सवाल पूछ रहे हो, क्या ये सवाल भी गलत विचार से आ रहा है? अभी मेरे सामने बैठे हो, क्या ठीक इस वक़्त भी मन हावी है? ठीक अभी क्या मन हावी है?
प्र: नहीं, आचार्य जी।
आचार्य: तो क्यों कह रहे हो कि सत्संग के बाद भी मन हावी रहता है, और गलत विचार भी हावी रहते हैं? ये कहो न कि जब सत्संग नहीं होता, या सत्संग में मौजूद होकर भी हम गैरमौजूद होते हैं, तब मन हावी हो जाता है, और उल्टे-पुल्टे विचार आते हैं।
अगर ऐसा ही होता, नियमित रूप से ऐसा होता कि सत्संग चल भी रहा है, और मन तब भी बहका हुआ है, तो मन अभी-भी बहका हुआ होता। क्या मन अभी-भी बहका हुआ है?
प्र: नहीं, आचार्य जी।
आचार्य: तो मन अभी तो नहीं बहका हुआ है। और अगर मन बहका हुआ है, और बहके हुए मन से ये सवाल आया है, तो सवाल भी बहका हुआ होगा। सवाल तो बहका हुआ नहीं है। सवाल तो बल्कि पूछ रहा है, “मैं बहका हुआ क्यों हूँ? मैं बहक क्यों जाता हूँ?” है न?
तो मतलब, बहकना सत्संग के मध्य नहीं होता, सत्संग की अनुपस्थिति में होता है।
तुम चुनते हो कि — “मैं कहीं और पहुँच जाऊँ।”
अभी-भी यहाँ जितने लोग बैठे हैं, सब उपस्थित थोड़े-ही हैं। ‘उप’- माने नज़दीक, और ‘स्थित’ माने — तुम्हारी स्थिति, तुम्हारी अवस्था। कहाँ पर हो ।
अब मैं शरीरों से तो बात कर नहीं रहा, बालों से तो बात कर नहीं रहा, घुटनों से तो बात कर नहीं रहा कि तुम कहो, “मैंने अपनी आँतें, अपने बाल, अपने घुटने यहाँ लाकर रख दिए हैं, और मैं यहाँ उपस्थित हूँ।” मैं सम्बोधित कर रहा हूँ तुम्हारे मन को। और सबका मन यहाँ नहीं है। और जिनका मन यहाँ नहीं है, उनकी ओर एक दृष्टि करता हूँ, जान जाता हूँ — ये नहीं है, ये नहीं है, ये नहीं है।
‘सत्संग’ का मतलब — उपस्थिति।
पास आओ, पास बैठो।
तुम अगर चुन ही लो दूर जाने को, तो अब सत्संग है कहाँ? तुम बहक जाते नहीं, स्वीकार करो — तुम बहकने का चुनाव करते हो। ये पहली बात।
अब दूसरी बात पर आओ। तुम बहकने का चुनाव क्यों करते हो? तुम बहकने का चुनाव इसलिए करते हो, क्योंकि तुम्हें लगता है कि बहककर कुछ ऐसा मिल जायेगा, जो सत्संग में भी नहीं मिल सकता।
दो रास्ते हैं तुम्हारे पास। या तो सीधे-साधे यहाँ उपस्थित रहो, या बहकर कहीं और पहुँच जाओ। यही दो रास्ते हैं न? आदमी जो भी चुनाव करता है, अपने भले के लिए ही करता है।…