सत्य समझ में क्यों नहीं आता

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, मैं ध्यान नहीं करती। आँखें तो बंद हैं ही, और बंद करके क्या फ़ायदा? कोई साधना भी नहीं करती। साधना और साध्य यदि दो हैं तो गोल-गोल चक्कर काटने से क्या फ़ायदा? बस सत्संग देखना-सुनना, साहित्य पढ़ना, राम कथा, भागवत कथा भाव से सुनना-देखना — इन सब में शांति और सुकून मिलता है। फिर भी कुछ बचा है, ऐसा लगातार महसूस होता रहता है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org