सत्य के साथ होने का क्या मतलब है?

सच के साथ होने का अर्थ होता है कि दिख गया कि झूठ के साथ हूँ। जितना दिखाई दे कि उलझे हुए हैं, फँसे हुए हैं, उतना स्पष्ट है कि सच के साथ हो।

मीरा ने गाया है न?
“पिया मुझे अपनी दासी बनाओ झूठे धंधों से फंद छुड़ाओ”

यही है सच के साथ होना।

मीरा को दिख गया है कि झूठे धंधों में फँसने की संभावना है और बड़ी विकट संभावना है।दुनिया फँसी हुई है। मीरा को दिखता है दुनिया फँसी हुई है, मैं भी फँस सकती हूँ। तो सीधे कह रही हैं झूठे धंधों से फंद छुड़ाओ।

यही है सच के साथ होना।

सच के साथ होने का मतलब यही है कि झूठ के साथ होने में अब चिढ़ लगती है। चाहे झूठ अपना हो, चाहे आँखों से संसार का दिखता हो। नकलीपन अब रास नहीं आता। सच के आने का अनिवार्य लक्षण ही यही है कि झूठ से चिढ़ होने लगेगी। बड़ी परेशानी उलझन-सी उठेगी। साँस लेना मुश्किल होगा।

कहाँ फँसे हुए हैं? कहाँ फँसे हुए हैं? क्या कर रहे हैं?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org