सत्य की क्या पहचान?
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सत्य की तलाश वास्तव में शांति की तलाश है।
सत्य और शांति को तुमने अलग-अलग किया तो सत्य सिद्धान्त मात्र बनकर रह जाएगा।
सत्य, तुम्हें मिला या नहीं मिला, इसकी एक ही कसौटी है; शान्त हुए कि नहीं? चैन, सुकून आया कि नहीं?
और चैन, सुकून तुमको जहाँ भी आ गया, जान लेना सत्य वहीं है।
न आगे बढ़ना, न पीछे जाना, न दाएँ, न बाएँ।
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