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सच्चे प्रेम की पहचान

प्रेम सच्चा है या नहीं तो बस ये देख लो कि प्रेम तुम्हारा तुमको दे क्या रहा है। सुख या होश?परखने का ये तरीक़ा है कि जिससे आप संबंधित हो रहे हैं, उसके साथ से, उसके संबंध से, आपको सुख मिल रहा है या होश? जब आपको किसी के साथ से सुख मिल रहा होता है तो आप जैसे है, आपको और ज़यादा प्रेरणा मिल जाती है, कारण मिल जाते हैं, वैसे ही बने रहने के लिए। दुर्भाग्यवश प्रेम के नाम पर अधिकांश यही होता है, मैं जैसा हूं मुझे प्रसन्न कर दो, और तुम जैसे हो मैं तुम्हें प्रसन्न कर दूंगा। अहंकार सुख की तलाश में ही रहता है, इसीलिए ये एक झूठे किस्म का प्रेम है, बड़ा प्रचलित है। अगर सच्चा है प्रेमी तो आपका प्रशंसक या मुरीद बनकर नहीं आ सकता, आपका फैन बनकर नहीं आ सकता, वो तो आपके पास एक तरह से आलोचक बनकर ही आयेगा। प्रेम में आप किसी की तरफ इसीलिए नहीं जाते क्योंकि वो आपको अच्छा लगता है। प्रेम में आप जिसकी ओर जाते हैं इसलिए जाते हैं क्योंकि आप उसका भला चाहते हो।

बड़ा मुश्किल होता है सच्चे प्रेम का संबंध बनाना क्योंकि सच्चा प्यार तो बिल्कुल छाती पर वार जैसा होता है। लोग कहते हैं सच्चा प्यार मिलता नहीं, मैं कहता हूँ सच्चा प्यार तुमसे बर्दाश्त होता नहीं, मिल तो आज जाए, झेल लोगे? बड़े अफसाने लिखे जाते है, शायरों की दुकानें ही चल रही है इसी बात पर, हम तो बड़े काबिल थे पर कमबख्त ज़िन्दगी ने धोखा दे दिया, हमें सच्चा प्यार मिला नहीं, झूठ। सच्चे प्रेमी के सामने दो दिन नहीं खड़े हो पाओगे। भाग लोगे।

हमें चाहिए कोई ऐसा जो हमें खूबसूरत धोखों में रख सके, हमें चाहिए कोई ऐसा जो हमें रंगीन सपनो में रख सके।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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