सच्चा प्रेमी कौन ?
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार
संत रहीम
वक्ता: “जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाही तोडू रे”, तुम्हारा ही हक़ है कि नाराज़ हो सको। क्योंकि तुम ही हो जो नाराज़ हो कर भी नाराज़ नहीं होओगे। तुम ही हो जो गति करते हुए भी अचल रह जाओगे। तुम ही हो जो बाहर से लाल-पीले होते हुए भी भीतर रंग-हीन रह जाओगे। हम नहीं हो सकते नाराज़ क्योंकि हम जब नाराज़ होते हैं तो हम…