सकारात्मक विचार आओ-आओ, नकारात्मक विचार जाओ-जाओ
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सकारात्मक सब मिल जाये, नकारात्मक चाहिये नहीं। और मन का नियम ये है कि बिना नकारात्मक के सकारात्मक होता नहीं। तो यदि तुम्हारा सवाल ये है कि सकारात्मकता कैसे बढ़ायें तो सीधा उत्तर ये है, नकारात्मकता बढ़ाके। ख़ूब नकारात्मकता बढ़ा लो, ख़ूब डर जाओ कि कुछ होने वाला है, फिर जब वो नहीं होगा तो बड़ी शान्ति का अनुभव होगा।
हम मन के मूलभूत द्वैत को नहीं समझते। मन में जो कुछ होता है वो अपने जोड़े के साथ होता है, पर चूँकि हमारी नज़रें पूरे को नहीं देख पातीं तो इसलिए हम सिर्फ सुख को देख पाते हैं और ये नहीं समझ पाते कि ये सुख मिल ही इसीलिए रहा है क्योंकि हम बहुत दुःखी हैं।
जो दुःखी नहीं हो, उसे सुख मिल ही नहीं सकता और चूँकि हमें सुख चाहिए, इसलिए हम ख़ूब-ख़ूब दुःखी होते हैं। ख़ूब दुःखी हो जाओ, फ़िर सुख मिले जायेगा। और होता भी यही है, जितना दुःखी होगे, उतना सुख मिलेगा।
अच्छा, अभी एक प्रयोग करते हैं।
साँस लेकर सुख मिल रहा है किसी को ?
कोई विचार भी आया कि सुख मिल रहा है साँस लेकर ?
नहीं?
अब मैं तुम्हें सुख दिलवाऊँगा!
अब जरा अपनी नाक बंद कर लो और तब तक बंद रखो जब तक कि जान ही निकलने न लगे!
करो और फिर देखना कि साँस का सुख क्या होता है।
जिस आदमी की नाक बंद कर दी गयी हो वो एक साँस के लिए कुछ भी देने को तैयार हो जायेगा। अन्यथा साँस तो आती-जाती रहती है, कोई सुख नहीं है उसमें। इतनी साँसें लीं, कोई सुख मिला आज तक? कभी कहा कि “अहा, साँस ली” !
सकारात्मक विचार की कोई ज़रूरत नहीं है, बिल्कुल कोई ज़रूरत नहीं है।
कोई भी विचार बिल्कुल वैसा ही है कि, “मैंने बात को समझा नहीं पर उसका अपने अनुकूल, जो मुझे भाता है उसके अनुसार मैंने कोई अर्थ कर लिया। मैं तुम्हारे सामने लिख दूँ ‘X’ और मैं कहूँ कि बताओ ये क्या है तो कुछ सकारात्मक विचारक हैं, वो कहेंगे कि, “सर ये कोई सकारात्मक इकाई है”। कुछ नकारात्मक विचारक हैं तो वो कहेंगे कि, “सर ये ज़रूर नकारात्मक इकाई है”।
अब सवाल ये उठता है कि दोनों में से बेहतर कौन है?
दोनों में कोई कुछ नहीं हैं क्योंकि समझे तो दोनों ही नहीं हैं। दोनों ने अपने-अपने मन के अनुरूप सकारात्मक या नकारात्मक कह दिया। दोनों तुक्के चला रहे हैं, एक सकारात्मक तुक्का चला रहा है और दूसरा नकारात्मक तुक्का चला रहा है । एक तीसरा भी है, जो कहता है कि “मैं देखूँ ज़रा कि ये ‘X’ का चक्कर क्या है?” तो पता चलता है कि ‘X’ के पीछे एक इक्वेशन है और कई सारी बातें…