संसार में जीने के सही तरीके को अध्यात्म कहते हैं
संसार में एक मार्ग सही होता है, दस मार्ग गलत होते हैं। संसार में ही सही चलने का जो मार्ग है उसे अध्यात्म कहते हैं। अध्यात्म संसार से हटकर कहीं आसमानों में कोई विशिष्ठ मार्ग नहीं है, वह संसार में ही जीने का सही मार्ग है।
अगर कोई कहे कि उसे अध्यात्म की ओर नहीं आना तो वह कह रहा है कि मुझे संसार में ठोकरें खाते हुए जीना है।
सत्य और संसार दो अलग-अलग रास्ते थोड़ी होते हैं कि एक रास्ता संसार का है और एक रास्ता सत्य का है। सत्य का कोई अलग रास्ता नहीं होता।
जीव को पार्थिव तौर पर तो संसार में ही जीना है न और संसार में ही जीने के बोधपूर्ण, होशपूर्ण, प्रेमपूर्ण रास्ते को सत्य का रास्ता कहा जाता है।
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