संसार में चैन पाना असंभव क्यों है?
असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्।
अपरस्परसम्भूतं किमन्यत्कामहैतुकम्।।
वे आसुरी प्रकृति वाले मनुष्य कहा करते हैं कि जगत् आश्रयरहित, सर्वथा असत्य और बिना ईश्वर के, अपने-आप केवल स्त्री-पुरुष के संयोग से उत्पन्न है, अतएव केवल काम ही इसका कारण है। इसके सिवा और क्या है?
—श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय १६, श्लोक ८
प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। जगत का मूल आधार क्या है, ये नहीं जान पाने के कारण शायद मैं सत्य से विमुख रहा हूँ। यही मान लिया था कि जीवन में फ़र्क़ क्या पड़ता है इन सब बातों से। क्या सृष्टि…