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श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहते हैं?

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, श्रीराम को ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा जाता है, जबकि उन्होंने सीता जी की अग्नि परीक्षा ली थी, और जब वो गर्भवती थीं तो उन्हें घर से निकाल दिया था। मैं श्रीराम के इस व्यवहार को ग़लत मानती हूँ। कृपया मेरी इस शंका को दूर कीजिए।

आचार्य प्रशांत: मर्यादा पुरुषोत्तम ही तो कहलाते हैं। उनका जो पूरा चरित्र है, जो पूरा आचरण है, वो यह बताता है कि मर्यादा पर चलोगे तो ऐसे हो जाओगे। मर्यादित आचरण करोगे तो यही करोगे कि बीवी को आग में डालोगे, फिर बाहर निकालोगे, यही सब है, मर्यादा से और क्या होगा?

(श्रोतागण हँसते हैं)

प्र: इस बात से जो क्रोध आता है, क्या वो सही है?

आचार्य: वो क्रोध राम के प्रति नहीं, मर्यादा के प्रति होना चाहिए। कृष्ण को कोई नहीं कहता — “मर्यादा पुरुषोत्तम”। वो ये सब काम नहीं करते कि किसी को आग में डाल दिया, ये कर दिया, वो कर दिया। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। राम की महत्ता इसलिए है कि राम से गुज़रेंगे नहीं, तो कृष्ण तक नहीं पहुँच पाएँगे।

राम वो हैं जिन्होंने मन को मर्यादा के अनुरूप चलने दिया, पर एक आख़िरी मालिक फिर भी मन पर छोड़ा। वो आख़िरी मालिक कौन? मर्यादा। कृष्ण वो जिन्होंने मन के ऊपर से वो आख़िरी मालिक भी हट जाने दिया।

हम आमतौर पर न कृष्ण होते हैं न राम होते हैं, हम अमर्यादित होते हैं। राम मर्यादित हैं, कृष्ण मर्यादातीत हैं। राम की इसीलिए महत्ता है। हमारे लिए तो राम भी बहुत हैं। राम का आदर्श इतने लम्बे समय तक इसीलिए टिक…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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