श्रीमद्भगवद्गीता — कर्मयोग
1 min readMay 4, 2020
आज के युग में श्री कृष्ण का कर्मयोग जितना प्रासंगिक है शायद उतना कभी नहीं था।
श्री कृष्ण कहते हैं कि हमारा अधिकार सिर्फ़ कर्म करने पर है उसके फल पर नहीं, परन्तु ऐसा जीवन में घटित होता महसूस नहीं होता।
जानिए वास्तविक कर्मयोग और उसकी जीवन में सार्थकता को आचार्य प्रशांत के साथ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के तीसरे अध्याय पर आधारित इस बोधशाला में।
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