श्राद्ध इत्यादि रस्मों का कुछ महत्व है?

प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। हमारे विस्तृत परिवार में श्राद्ध करने को बड़ा महत्व दिया जाता है। श्राद्ध के दिनों में पंडित को बुलाकर खाना खिलाना, यज्ञ-वगैरह करना आदि। मैं यह नहीं करती हूँ पर डरती हूँ कि क्या मैं अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध न करके उनके साथ कुछ अनादर या ग़लत तो नहीं कर रही हूँ।

आचार्य प्रशांत: चलिए मान भी लिया कि आप अपने पूर्वजों से प्रेम करती हैं, उनका आदर करना चाहती हैं। आदर माने क्या? आप जब कहें कि आप किसी का सम्मान करते हैं उसका अर्थ क्या है? मैं यहाँ बैठा हूँ, आप कहें आप मेरा सम्मान करते हैं उसका क्या अर्थ है? कि आप मुझे सिंहासन पर या मंच पर, पहाड़ पर चढ़ा दें और आप नीचे बैठ जाएँ, ये? आप मुझे सम्माननीय, श्रद्धेय, आदरणीय आदि संबोधनों से विभूषित करें, ये? मैं मर जाऊँ तो मेरी याद में एक दिन दिया जला दें, ये? सम्मान माने क्या? निश्चित रूप से सम्मान का कोई गहरा अर्थ होता होगा न, कोई असली अर्थ होता होगा, क्या? किसी का मान रखना माने क्या? चाहे वो दोस्तों का हो, रिश्तेदारों का हो, चाहे वो पितरों-पूर्वजों का हो; मान रखना माने क्या?

मान रखने के लिए पहले हमें ये तो पता होना चाहिए न कि किसी में भी मान रखने लायक तत्व कौन सा है, आप किस चीज़ का मान रखना चाहते हैं। मान रखने का मतलब होता है ऊँचा जानना। मान रखने का मतलब होता है मूल्य देना। जब आप किसी के सामने सर झुकाते हो तो उसका मतलब होता है कि, "तेरी कीमत मेरे उठे हुए सर से ज़्यादा है और मैं इस बात को स्वीकारती हूँ।" यही अर्थ होता है न? इसीलिए आप हर ऐरी-गैरी जगह तो सर नहीं झुका देते, या झुका देते हो कहीं भी? कचरे का ढेर लगा है वहीं जाकर के दण्डवत प्रणाम मार देते हो? ऐसा तो नहीं करते?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org