शिक्षा के दो आयाम

आचार्य प्रशांत: निशा का सवाल है कि जीवन में शिक्षा की आवश्यकता है ही क्यों? है किसलिए शिक्षा? ज़िन्दगी चमकाने के लिए, पैसे कमाने के लिए, किसी प्रोफेशन में जाने के लिए? क्या है शिक्षा?

निशा, शिक्षा दो प्रकार की होती है- पहली शिक्षा होती है दुनिया को जानने की। ये एक निचली शिक्षा है, ये निम्नतर शिक्षा है जिसमें आप जानते हो कि जग कैसा है, जिसमें आप जग में जो भाषाएँ बोली जाती हैं उनका ज्ञान लेते हो, हिंदी का, अंग्रेजी का, जिसमें आप देखते हो कि आज तक इस जगत में क्या होता रहा है तो आप इतिहास पढ़ते हो। आप जानना चाहते हो कि पृथ्वी पर किस-किस तरीके के आकार हैं, तो आप भूगोल पढ़ते हो- नदियाँ, पहाड़, रेगिस्तान। ये सब जगत के बारे में जानकारी है जो आपको मिल रही है।

आप जानते हो कि कौन-कौन-सी तकनीके हैं, विज्ञान कहाँ तक पहुँच गया, प्रौद्योगिकी कहाँ तक पहुँच गई तो आपको पता चलता है कि ये विद्युत् मोटर कैसे काम करती है, वो कैथोड रे ट्यूब कैसे काम करती है, इसके भीतर जो चिप्स लगी हैं वो कैसे काम करती हैं, ये सब जानकारी आपको बाहरी दुनिया के बारे में मिल रही है और ये शिक्षा आवश्यक है।

लेकिन अलग है एक दूसरे प्रकार की शिक्षा, जो केंद्रीय है, जो परम आवश्यक है। हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देती नहीं। वो कौन सी है जिसको मैं कह रहा हूँ उच्चतर शिक्षा? वो शिक्षा है स्वयं को जानने की।

निम्नतर शिक्षा है जगत को जानने की और उच्चतर शिक्षा है स्वयं को जानने की।

याद रखना ये सब कुछ जो तुमने बाहर जाना, चाहे वो भाषाएँ हों, चाहे गणित हो, चाहे प्रोद्योगिकी…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org