शान्ति और सुविधा में अंतर

शान्ति के साथ जैसे चुनौती जुड़ी होती है। सुविधा के साथ सब कुछ ज्ञात होता है।

शान्ति नई होती है बहुत। सुविधा में तुम ऊपरी तौर पर, सतही तौर पर शांत हो और शांत इसीलिए हो क्योंकि जो कुछ हो रहा है वो तुम्हारे सुरक्षा के दायरे के भीतर का है, ज्ञात है, तुम्हें पहले ही पता है कि क्या हो रहा है, पूर्वनिर्धारित है। क्योंकि पूर्वनिर्धारित है इसीलिए वो तुम्हारे डर को ज़रा छुपाए रखता है, ज़रा सुलाए रखता है; डर मौजूद है लेकिन सोया हुआ है।

शान्ति में वो सारे कारण मौजूद हो जाते हैं जिनसे डर लगता है। डर के कारण उपस्थित हो जाते हैं।

डर का क्या कारण होता है? नयापन।

जो भी नया है वो हमें डराता है। शान्ति में डर का कारण मौजूद होता है लेकिन डर नहीं लगता। और सुविधा में, आराम में डर इसीलिए नहीं लगता क्योंकि तुम डर के कारण का ही दमन कर देते हो। तुम डर के कारण से ही छुपकर भाग जाते हो। डर का क्या कारण है, नयापन।

सुविधा में तुम हमेशा नयेपन को दूर रखते हो। पुराने की शरण में रहते हो, पुराने से छिपे और घिरे हुए रहते हो। क्योंकि नया जब भी आएगा, हमें डराएगा। तो शान्ति मैंने इसलिए कहा चुनौती जैसी चीज़ है। क्यों चुनौती है शान्ति में? क्योंकि डर के कारण को तुम कहते हो, “तू आ, तू आ, लेकिन हम फिर भी डरेंगे नहीं, हम शांत रहेंगे।” शान्ति में एक वीरता है, एक साहस है, एक श्रद्धा है।

शान्ति सस्ती चीज़ नहीं है, शान्ति मामूली चीज़ नहीं है, शान्ति उन्हीं के लिए है जिनमें दम हो। शान्ति उन्हीं के लिए है जिनमें विद्रोह की…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org