Sitemap

Member-only story

शादी से पहले बेटा घर से भाग गया

प्रश्नकर्ता: मैं अपने बेटे की शादी करना चाहती थी, उसको तैयार कर लिया था, सारी बात जमा दी थी, वो शादी से पाँच दिन पहले घर से भाग गया। मेरे सारे सपने टूट गए। अब मैं बहुत दुखी हूँ। अब मुझे सत्संग ही बचाएगा।

आचार्य प्रशांत: सत्संग को आपसे कौन बचाएगा?

जैसे आपने तय कर लिया था पहले कि आपके बेटे के लिए शादी ही सबसे अच्छी चीज़ है, वैसे ही आपने अपने लिए तय कर लिया कि आपके लिए सत्संग ही सबसे अच्छी चीज़ है। जिस तरीके की आप उसकी शादी जमा रही थीं वैसे ही आप अपना सत्संग जमा लेंगी। तो ये गड़बड़ सत्संग होने वाला है। कैसा सत्संग होगा ये? उसमें भी फिर आप अपने ही जैसी बिरादरी खोज लेंगी, जहाँ यही बात हो रही होगी कि, "मेरे लड़के की वहाँ जम रही है, तेरी लड़की की कहाँ जम रही है?"

ये क्या है, ये चल क्या रहा है? मैं इसका क्या जवाब दूँ? इतनी देर से बोल रहा हूँ, अब चुटकुला भी नहीं बना सकता इसका।

"मैं अपने बेटे की शादी करना चाहती थी।" क्यों करना चाहती थीं? और कोई काम नहीं है? बेटे की शादी करनी है। बेटा है कि क्या है, गुड्डा है? कितने साल का है? अगर पंद्रह साल का है तो ये आप ग़ैर-कानूनी काम कर रही हैं। अगर पच्चीस साल का है, तो ये आप उसके व्यक्तित्व के ख़िलाफ़ अपराध कर रही हैं।

ये क्या होता है, "मैं अपने बेटे की शादी कर रहा हूँ।" आपने क्या पैदा करा है, जिसको आपने पैदा करा है वो अभी मर्द बना कि नहीं बना? शादी कर रही हैं तो मर्द होगा, तभी कर रही होंगी। और ये कौन सा मर्द है जिसकी शादी कोई और कर रहा है। और अगर अभी वो मर्द…

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Written by आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

No responses yet