शादी की खुशखबरी कब सुनाओगे?

प्रश्नकर्ता: (प्रश्नकर्ता ने अपना प्रश्न आचार्य जी तक मोबाइल में सन्देश के ज़रिए पहुँचाया था) प्रणाम आचार्य जी, मुझमें अपराध भाव बढ़ता जा रहा है, मैं शादी नहीं करना चाहता। जो भी मेहमान घर पर आते हैं वह कहते हैं कि, “शादी की खुशख़बरी कब?” सब के अनुसार शादी और बच्चे होने के बाद मेरी माँ की तबीयत सही हो जाएगी और जीवन लंबा हो जाएगा। शादी मैं बिलकुल नहीं करना चाहता हूँ और यह लगता भी है कि अगर मेरी माँ बच्चों के बीच रहेगी तो शायद उनका समय अच्छा बीतेगा और तबीयत बेहतर हो जाएगी। इस द्वंद्व के कारण मेरा अंतःकरण बिलकुल टूटा हुआ रहता है और कोई प्रगति जीवन में दिखाई नहीं देती। प्रेम की बात जो अध्यात्म में की जाती है, वह मैंने अभी तक जाना नहीं है, पर मुझे ऐसा लगता है कि बिना उसके कोई भी संबंध कुछ महीनों से ज़्यादा नहीं चल सकता। ऐसी स्थिति में क्या करें?

आचार्य प्रशांत: माँ को किसी प्ले स्कूल में नौकरी दिलाओ, बेटा। वहाँ बच्चे-ही-बच्चे मिलेंगे। तुम तो बहुत लंबा रास्ता अख्तियार कर रहे हो, शादी करोगे फिर आजकल पता नहीं महिलाओं की फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) कम होती जा रही है, पुरुषों की वायरिलिटी (प्रजनन क्षमता) कम होती जा रही है, बच्चा भी हो, ना हो, हो भी तो कितने सालों में हो, उतने दिन तक माँ का क्या भरोसा! तुरंत वाला काम करो। कल ही से सुबह ले जाकर के माँ को किसी प्ले स्कूल में छोड़ आया करो। तुम्हारा ही कहना है कि बच्चों के बीच रहेंगीं तो स्वास्थ्य लाभ हो जाएगा।

किसको बेवकूफ बना रहे हो भाई? किसको बेवकूफ बनाया जा रहा है ये? क्या बात है असली, कामोत्तेजना बड़ी हुई है, बीवी चाहिए? क्यों इधर-उधर की बात करते हो कि मेहमान आकर के दबाव बनाते हैं कि शादी कर लो। यही मेहमान कहेंगे कि ज़हर खा लो, खा लेते हो? मेहमानों के कहने से भी काम तुम वही करते हो जो तुम्हें करना है। सीधे कहो कि तुम्हें करना है, तो कर डालो कौन मना कर रहा है?

सब शादी करते हैं, तुम भी कर डालो, बातें क्यों बना रहे हो? माँ को बच्चे चाहिए, और बच्चे ना हों तो? हो ही जाते हैं? अपनी जाँच-पड़ताल कराई है? बड़ी समस्या है दुनिया में, आवो-हवा ऐसी हो गई है, जलवायु ऐसी है, खाना-पीना ऐसा है स्पर्म काउंट गिरता ही जा रहा है। और जिन देवी जी से शादी करोगे तुम्हें पक्का है कि वो बच्चों में उत्सुक ही होंगी? आज की लड़कियाँ पहले वाली तो हैं नहीं कि तुमने गाय बना दिया और वो बन गईं, हसबैंड (पति) बनकर तुमने बैंड बजा दिया और बछड़ा पैदा हो गया।

ये चल क्या रहा है कि माँ को बच्चे मिलेंगे तो उनका स्वास्थ्य अच्छा होगा इसीलिए मैं शादी करूँगा, फिर एक स्त्री को गर्भ दूँगा, फिर वह संतान पैदा करेगी, वह संतान माँ के पास दूँगा। एक संतान से माँ के स्वास्थ्य में इतना लाभ होता है तो बहुत सारे बच्चे होने…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org