शादी करने से ज़िम्मेदारी नहीं सीख जाओगे

ये भी एक बड़ा भ्रम है कि — जल्दी से शादी कर लो, और शादी करने से दूसरा व्यक्ति ज़िम्मेदार हो जाएगा। भागेगा नहीं, अनुशासन में रहेगा, कर्त्तव्य पूरा करेगा। कुछ नहीं।

तुम कर लो शादी।

जिस व्यक्ति का मन अभी प्रकाशित नहीं हुआ, उससे तुम शादी कर भी लोगे, तो और दुःख झेलोगे।

और जिसका मन प्रकाशित है, उससे शादी चाहे करो, चाहे नहीं करो, वो तुम्हारे प्रति प्रेमपूर्ण रहेगा, और अपनी वास्तविक ज़िम्मेदारी जानेगा भी और निभाएगा भी।

माँ-बाप कहते हैं, “ये बड़ा उद्दण्ड है लड्डू। गाँव भर में लुढ़कता फिरता है लड्डू। तो लड्डू को ज़िम्मेदार बनाने के लिए लड्डू की शादी कर देते हैं।” घर में आ गयी बर्फी। तुम्हें क्या लगता है, शादी करने से लड्डू ज़िम्मेदार हो जाएगा?

ये बड़ी पुरानी सोच है कि लड़के को ज़िम्मेदार बनाना हो तो शादी कर दो। शादी है या समाधि है? तुमको ज़िम्मेदार कैसे बना देगी भाई?

अंधविश्वास!

ज़िम्मेदारी नहीं आएगी। लड्डू है, बर्फी है, फिर बूंदियाँ आ जाएँगीं।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org