शादियों के मस्त मज़े!

शादियों के मस्त मज़े!

प्रश्नकर्ता: नमस्ते सर, एक निजी प्रश्न आपके साथ साझा करना चाहता हूँ। कुछ दिनों से काफ़ी परेशान हूँ। मेरे एक रिश्तेदार हैं, उनसे मेरी बातचीत हो रही थी तो हाल-चाल में उन्होंने बताया कि उनके ऊपर काफ़ी कर्ज़ है इस समय। बूढ़े भी हो चुके हैं। और ये बातचीत ऐसे शुरू हुई कि मैंने उनसे पूछा कि मेरी बहन कैसी हैं, तो वो बोले कि ससुराल में हैं।

तो फिर बातचीत बढ़ती गयी कि मेरी बहन की शादी के लिए कर्ज़ लिया था उन्होंने। तो बात और बढ़ी फिर और बढ़ी। तो ये बताया उन्होंने कि कर्ज़ का ब्याज लगातार बढ़ता जा रहा है और अब वो बूढ़े भी हो चुके हैं, असमर्थ भी हो चुके हैं। वो चुकाने में सक्षम नहीं हैं।

मुझे भी काफ़ी असहाय लगा कि मैं कैसे उनकी मदद कर सकता हूँ। फिर कुछ आँकड़े मैंने खोले। उन आँकड़ों में मैंने पाया कि क़रीब साठ प्रतिशत जो शादियाँ होती हैं वो लोन (उधार) लेकर की जाती हैं और क़रीब बीस परसेंट इंसान अपनी कमाई का शादियों पर लगा देता है। क्यों हो रहा है ये?

आचार्य प्रशांत: मज़ा आता है और क्यों! तुम्हें शादियों में नाचने में मज़ा नहीं आता? उत्सव हैं शादियाँ। भारत में सबसे बड़ा उत्सव विवाह-उत्सव होता है। होता है कि नहीं? होली, दीवाली, दशहरा, गणतन्त्र दिवस, स्वतन्त्रता दिवस कुछ हो, सबसे बड़ा उत्सव कौनसा होता है जीवन का? विवाह-उत्सव होता है। होता है कि नहीं? हम बड़ी खुशी मनाते हैं तो इसीलिए कर्ज़ उठाते हैं, खुशी मनाने के लिए कर्ज़ उठाते हैं। कैसा उत्सव है, सोचिए थोड़ा सा। किसका उत्सव है?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org