शरीर माने मृत्यु

देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह । बहुरि न देही पाइए, अबकी देह सो देह ।।

–कबीर

वक्ता: जिसने बोझ उठा रखा हो, उसके लिए एकमात्र कर्त्तव्य क्या है? बोझ उतार देना। जिसने जलता हुआ कोयला पकड़ रखा हो, उसके लिए करणीय क्या है? कोयला छोड़ देना। और जिसने देह को पकड़ रखा हो उसके लिए करणीय क्या है? देह को छोड़ देना ।

“देह धरे का गुन यही, देह देह सो देह “

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org