शमन क्या है? नित्यता क्या है?

शमः कः?मनोनिग्रह।
भावार्थ:शम किसे कहते हैं?मन का निग्रह।

~ तत्वबोध

आचार्य प्रशांत: ‘शम’ क्या है? मन के ऊपर नियंत्रण प्राप्त करना ही ‘शम’ है। दमन जो काम स्थूल रूप से करता है, शमन वही काम सूक्ष्म रूप में करता है।

‘दमन’ का अर्थ है — ये हाथ लड्डू की ओर बढ़ना चाहता है, ये हाथ नहीं बढ़ेगा। और ‘शमन’ का मतलब है — लड्डू के विचार दिमाग में बहुत घूम रहे हैं, हम बलपूर्वक मन से कहेंगे, “अच्छा, भूल गया आज कहाँ जाना था?” और जैसे ही हमने मन को याद दिलाया कहाँ जाना था, मन लड्डू से हट गया।

हाथ को लड्डू से हटाना, यदि ‘दम’ है, तो मन को लड्डू से हटाना ‘शम’ है। कुछ और नहीं। दोनों साथ-साथ चलते हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है। वास्तव में, अगर ‘शम’ हो जाए, तो ‘दम’ की आवश्यकता कम हो जाएगी।

भूलना नहीं, तुम मन को बल से, सिर्फ़ हटा नहीं सकते हो। मन एक अपूर्णता है, जो अगर लड्डू में पूर्णता खोज रही है, तो उसे लड्डू चाहिए ही चाहिए। अगर तुम चाहते हो कि लड्डू की तरफ वो न भागे, तो तुम्हें उसे लड्डू का कोई विकल्प देना होगा। अन्यथा ‘शमन’ की प्रक्रिया असफल हो जाएगी। तुम ये नहीं कर सकते कि — “लड्डू मात्र है, और तुझे लड्डू दूँगा भी नहीं।”

अगर लड्डू नहीं देना, तो उसे दूसरी मिठाई दिखाओ। कोई मिठाई नहीं देनी, तो उसको कुछ और दिखाओ। उसको वो दिखाओ जो उसको मिठाईयों से ज़्यादा प्यारा लगे। ये ‘शमन’ है।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org