व्यर्थ ही मार खा रहे हो जीवन से
ज्यों जग बैरी मीन को आपु सहित बिनु बारि।
त्यों तुलसी रघुबीर बिनु गति आपनी बिचारि।।
~ संत तुलसीदास
आचार्य प्रशांत: तुलसी का अंदाज़ ज़रा नर्म है। वो इतना ही कह रहे हैं कि मीन का समस्त जग बैरी है, यहाँ तक कि वह स्वयं भी अपनी बैरी है। वो कह रहे हैं, “वह स्वयं भी अपनी बैरी है।” मैं कहता रहा हूँ कि, “वह स्वयं ही अपनी बैरी है।”
तुलसी का कहना ये है — पूरी दुनिया तो मछली को मारने के लिए लालायित है ही, तो पूरी दुनिया तो उसकी दुश्मन है ही, वह ख़ुद भी अपनी दुश्मन है, क्योंकि काँटे की तरफ़ वह ख़ुद ही तो भागती है।