वो ही चुनेगा कि कौन उसे चुनता है
प्रश्नकर्ता:
नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन।
यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूस्वाम।।
आत्मा प्रवचन सुनने से नहीं मिलेगी, ना ही तुम्हारी बुद्धि से, ना ही सुनी सुनाई बातों से। आत्मा उसी को मिलती है जिसे वह स्वयं चुनती है।
~ कठ उपनिषद् (1.2.23)
यह आत्मा प्रवचनों से नहीं मिलती, ना ही बौद्धिक क्षमता से और ना ही शास्त्रों के श्रवण-अध्ययन से। आगे है कि जो इसकी इच्छा करता है उसे यह प्राप्त होती है, उसी के समक्ष यह आत्मा अपना स्वरूप उद्घाटित करती…