वो काठ के योद्धा होते हैं जिन्हें डर नहीं लगता

इंसान होने का मतलब ही यही है कि एक तल पर आत्मा है और दूसरे तल पर तमाम डर, विचार, परेशानियाँ, चिंताएँ, अहंकार — वो मौजूद रहेंगे।

इंसान होने का मतलब ही यही है कि सदा दोनों तल मौजूद रहेंगे, पर तुम्हें देखना है कि तुम्हें किस तल को वरीयता देनी है।

तुम्हें डर के साथ डर जाना है, या तुम्हें आत्मा के साथ निर्भीक रहना है — यह फैसला करने का हक़ है तुम्हें।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org