वैराग्य से जुड़ी ग़लत धारणाएँ

स्ववर्णाश्रमधर्मेण तपसा हरितोषणात्। साधनं प्रभवेत्पुंसां वैराग्यादि चतुष्टयम्।।

“अपने-अपने वर्णाश्रम धर्म के अनुसार आचरण कर के भगवान को प्रसन्न करने से मनुष्य वैराग्य, यम, नियम और स्वाध्याय आदि चार साधनाओं को प्राप्त करता है। ‘स्वधर्मपालन’ से ही ये संभव है।”

~अपरोक्षानुभूति (श्लोक ३)

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अपरोक्षानुभूति ग्रन्थ के तीसरे श्लोक में वैराग्य के बारे…

Get the Medium app

A button that says 'Download on the App Store', and if clicked it will lead you to the iOS App store
A button that says 'Get it on, Google Play', and if clicked it will lead you to the Google Play store
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org