वृत्तियों का बहाव

प्रश्नकर्ता: एक वृत्तियों का बहाव होता है तो वो वाला हमारा है। वो चलता रहता है उसको देखना या उसको रोकना भी तो एक एक्शन हुआ ?

आचार्य प्रशांत: देखो, जितने भी फ्लोज़(बहाव) हैं, इनको रोकना या देखना, तुम जितनी भी इनके बारें में बातें करोगे उन सारी बातों में यह भाव निहित रहेगा कि मैं कुछ और हूँ और मैं इसको रोक सकता हूँ, इसको सुधार सकता हूँ, इसकी दिशा बदल सकता हूँ। यह सारी बातें उसमें रहेंगी। इतना अगर जान ही गए हो कि वृत्तियों का बहाव है…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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