विश्वास, जानना, लक्ष्य…

वक्ता: जिसे तुम विश्वास कह रहे हो वह दो तरह का होता है: पहला, विश्वास और दूसरा श्रद्धा, और इन दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर है। इसको ध्यान से समझिएगा। विश्वास का अर्थ होता है कि मैंने जाना नहीं है। विश्वास जो है, दो तरह का होता है, पहले का अर्थ होता है कि मैंने जाना नहीं, बस मान लिया। तुम सब विज्ञान के छात्र हो?

श्रोता: हाँ, सर।

वक्ता: क्या तुम मान लेते हो जो किताबो में लिखा है? प्रयोगशाला है, प्रयोगशाला में जाकर उसे सत्यापित भी करते हो? किसी ने कोई थ्योरम दिया तो इसका प्रमाण माँगते हो। विश्वास तो नहीं किया ना? जो दूसरा विश्वास है, वह है श्रद्धा। श्रद्धा का अर्थ…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org