विपत्ति के समय भावनाओं पर काबू कैसे रखें?

जिसको आप अच्छा या बुरा समय कहते हैं वो संयोग मात्र है।

धैर्य संयोग नहीं है, धैर्य मन का केंद्रीय गुण है, आभूषण है। समय अच्छा हो, समय बुरा हो इसकी बात ही नहीं है। संयम हर समय चाहिए, निरन्तर चाहिए और संयम यदि है तो क्यों बुरे समय को आप बुरा कहेंगे?

समय बुरा भी तुलनात्मक रूप से ही लगता है न?

अपनी अपेक्षाओं से आप तुलना करते हैं घटने वाली घटना की, तुलना ठीक बैठी तो कह देते हैं समय अच्छा है, तुलना ठीक नहीं बैठी तो कह देते हैं समय बुरा है।

अपनी शक्ति से आप कल्पना करते हैं अपने ऊपर पड़ रहे बोझ की। बोझ की अपेक्षा बोझ की तुलना में अपनी शक्ति ज़्यादा लगी तो कह देते हैं समय अच्छा है। अपनी शक्ति की तुलना में अपने ऊपर पड़ रहा दबाव ज़्यादा लगा तो कह देते हैं समय बुरा है।

आपकी अपेक्षाएं बदल जाएँ, तो समय का अच्छा लगना, बुरा लगना बदल जाएगा।

या आपको जो कुल सूचनाएं मिली हुई हैं, वो ही बदल जाएं तो आज जो अच्छा लग रहा है वो हो सकता है कल बुरा लगने लगे और बुरा अच्छा लगने लगे।

अच्छा-बुरा ये कोई सार की बात नहीं है। कौन जाने क्या अच्छा? कौन जाने क्या बुरा? यही याद रखना संयम है।

अपने निष्कर्षों को इतना वज़न मत दीजिए कि वो आपकी केंद्रीय शांति ही हर ले।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org