विद्या-अविद्या क्या, बंधन-मुक्ति क्या?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, विद्या और अविद्या क्या है?
आचार्य प्रशांत: जो जन्म ले वो है, अविद्या और जिससे अहम भाव समाप्त हो जाए वो है, विद्या। ध्यान से समझेंगे।
देखिए, इस पर बड़ा संशय रहा है और बड़े तरीकों से विद्या और अविद्या की परिभाषा करने की कोशिश की गई है। मेरी दृष्टि जहाँ तक जाती है वो मैं कहता हूँ।