विदेशी कंपनियाँ और बाज़ारवाद: पतन भाषा, संस्कृति व धर्म का

किसी भी चीज़ के बिकने के लिए दो-तीन शर्तें हैं। एक तो ये कि वो चीज़ निर्मित, पैदा करने वाला, उत्पादन करने वाला कोई होना चाहिए। ये तो पहली बात हुई। दूसरी बात उस चीज़ के बिकने के लिए कोई बाज़ार, मार्केट होना चाहिए, और तीसरी चीज़ जो कि तुम कहोगे ये तो बहुत सहज है, स्पष्ट है, पर उसकी बात करना बहुत ज़रूरी है। तुम्हारे सवाल का जवाब उस तीसरी चीज़ में ही छुपा हुआ है। तीसरी चीज़ है कि उसका खरीदार होना चाहिए।…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org